Monday 15 August 2016

पंचतत्व का अर्थ एवं महत्त्व

पञ्चभूत (पंचतत्व या पंचमहाभूत) भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं । पृथ्वी (ठोस), आप (जल, द्रव), आकाश (शून्य), अग्नि (प्लाज़्मा) और वायु (गैस) - ये पञ्चमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है । लेकिन इनसे बने पदार्थ जड़ (यानि निर्जीव) होते हैं, सजीव बनने के लिए इनको आत्मा चाहिए । आत्मा को वैदिक साहित्य में पुरुष कहा जाता है । सांख्य शास्त्र में प्रकृति इन्ही पंचभूतों से बनी माना गया है । योगशास्त्र में अन्नमय शरीर भी इन्हीं से बना है । लोकप्रिय तौर पर इन्हें क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरा कहते हैं ।

पंचतत्वों को किसी को भगवान के रूप में तो किसी को अलइलअह अर्थात अल्लाह के रूप में याद रखने की शिक्षा दी। उनके द्वारा भगवान में आये इन अक्षरों का विश्लेषण इस प्रकार किया गया है- भगवान: भ-भूमि यानी पृथ्वी, ग- गगन यानि आकाश, व- वायु यानी हवा, अ- अग्नि अर्थात् आग और न- नीर यानी जल। इसी प्रकार अलइलअह (अल्लाह) अक्षरों का विश्लेषण इस प्रकार किया गया है: अ- आब यानी पानी, ल- लाब यानी भूमि, इ- इला- दिव्य पदार्थ अर्थात् वायु, अ- आसमान यानी गगन और ह- हरक- यानी अग्नि।
हरी ॐ

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