Monday 15 August 2016

परिवार का महत्त्व

परिवार इस शब्द का अपने आप में बहुत महत्त्व है, आज कल ये अलग थलग पड़ता नजर आ रहा है। एक समय परिवार का मतलब होता था संयुक्त परिवार परंतु धीरे-२ एकल परिवार हो गया है, संयुक्त परिवार का मतलब होता सभी का एक साथ होना (दादा, दादी, ताऊ, ताई, चाचा, चाची, भाई, बहन, सभी रिश्ते - नाते ) और सबसे अच्छी बात थी की संस्कार और बड़ो का आर्शीवाद और किसी भी समस्या का हल पल में निकल आता था, किन्तु आज कल सब एकल परिवार होते जा रहे है जिसके परिणाम स्वरुप कुछ न कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
संयुक्त परिवार समाप्त होना का असर सीधे हमारी नई पीढ़ी और समाज पर पड़ रहा है, जैसे की बिखरते रिश्ते, बिछुड़ता बचपन, नशाखोरी और न जाने क्या -2, कभी-2 देखा गया है की परिवार माता-पिता के पास समय की कमी के चलते बच्चे गलत रास्ते पर निकल जाते है। समय की रफ़्तार के साथ भागने की वजह से एकल परिवार के बच्चो को अपनी समस्या चर्चा करने का वक्त नहीं मिल पाता है जिसकी वजह से वह अवसाद से ग्रषित हो जाते है, और कई बार देखा गया है बच्चे बचपन से या तो आया या फिर डे-केयर में अपना वक्त गुजरते है, जिससे उनका बचपन जैसा की परिवार के साथ होना चाइये वैसा नहीं हो पता है ।
आजकल देखा गया है की वृद्धाश्रम की बढ़ती मांग कही न कही ये भी इसी का एक कारक है क्यूंकि बच्चो ने जो देखा ही नहीं तो उनको उसका महत्व कैसे समझ आएगा।
हरी ॐ

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