आप सभी को मेरी ओर से नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें। मां भगवती देवी दुर्गा आप सभी के परिवार में सुख, शांति, उन्नति और समृद्धि लाएं और सब प्रकार से रक्षा करें।
आपकी मनोकामनाएं पूरी हों, ऐसी मां भगवती से मेरी प्रार्थना है।
नवरात्रि का पर्व सनातन धर्म में साल में दो बार आता है। नवरात्रि का अर्थ होता है, नौ रातें। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की नवरात्रि।
इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख देवियों- मां काली, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है, जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं।
इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख देवियों- मां काली, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है, जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं।
यह है घट स्थापना का समय :-
नवरात्रों में सबसे अहम माता की चौकी होती है, जिसे शुभ मुहूर्त देखकर लगाया जाता है, माता की चौकी लगाना के लिए भक्तों के पास 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का समय है।
यह है कलश स्थापना के लिए सामान :-
शारदीय नवरात्रि के लिए मिट्टी का पात्र और जौ, शुद्ध, साफ मिट्टी, शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, मोली (कलवा), साबुत सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्के, फूल और माला, अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन, साबुत चावल, एक पानी वाला नारियल, लाल कपड़ा या चुनरी की आवस्यकता होती है।
ऐसे करें कलश स्थापना
-नवरात्रि में कलश स्थापना करने के दौरान सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लें।
-लकड़ी की चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
-कपड़े पर थोड़े-थोड़े चावल रखें।
-चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें।
-एक मिट्टी के पात्र में जौ बोयें।
-इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
-कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊँ बनायें।
-कलश के मुख पर कलवा बांधकर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें।
-कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें।
-एक नारियल पर चुनरी लपेटकर इसे कलवे से बांधें और चावल की कटोरी पर रख दें।
-सभी देवताओं का आवाहन करें और धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
-भोग लगाकर मां की आरती करें।
शारदीय नवरात्रि के लिए मिट्टी का पात्र और जौ, शुद्ध, साफ मिट्टी, शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, मोली (कलवा), साबुत सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्के, फूल और माला, अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन, साबुत चावल, एक पानी वाला नारियल, लाल कपड़ा या चुनरी की आवस्यकता होती है।
ऐसे करें कलश स्थापना
-नवरात्रि में कलश स्थापना करने के दौरान सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लें।
-लकड़ी की चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
-कपड़े पर थोड़े-थोड़े चावल रखें।
-चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें।
-एक मिट्टी के पात्र में जौ बोयें।
-इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
-कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊँ बनायें।
-कलश के मुख पर कलवा बांधकर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें।
-कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें।
-एक नारियल पर चुनरी लपेटकर इसे कलवे से बांधें और चावल की कटोरी पर रख दें।
-सभी देवताओं का आवाहन करें और धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
-भोग लगाकर मां की आरती करें।
शारदीय नवरात्र 2017 में मां के 9 रूपों की पूजा होती है.
- 21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा
- 22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा
- 24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा
- 25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा
- 26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा
- 27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
- 28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा
- 29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा
- 30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा।
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