कठोर तप और ध्यान की देवी "ब्रह्मचारिणी" माँ दुर्गा का दूसरा रूप हैं। इनकी उपासना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए यह मंत्र है-
दधांना कर पहाभ्यामक्षमाला कमण्डलम।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मiचारिण्यनुत्तमा।।
माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान का भंडार है. रुद्राक्ष उनका बहुत सुंदर गहना हैं. माँ ब्रह्मचारिणी सक्षम है अनंत लाभ पहुँचाने में माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से मनुष्य को विजय प्राप्त होती हैं ।
द्वितीय दिन हम सभी को हरे वस्त्र धारण करने चाहिये।
तृतीय दिवस नवदुर्गा : माँ चन्द्रघन्टा
हरी ॐ
देवी ब्रह्मचारिणी: ‘ब्रहाचारिणी’ माँ पार्वती के जीवन काल का वो समय था जब वे भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी। तपस्या के प्रथम चरण में उन्होंने केवल फलों का सेवन किया फिर बेल पत्र और अंत में निराहार रहकर कई वर्षो तक तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमण्डल है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए यह मंत्र है-
दधांना कर पहाभ्यामक्षमाला कमण्डलम।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मiचारिण्यनुत्तमा।।
माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान का भंडार है. रुद्राक्ष उनका बहुत सुंदर गहना हैं. माँ ब्रह्मचारिणी सक्षम है अनंत लाभ पहुँचाने में माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से मनुष्य को विजय प्राप्त होती हैं ।
द्वितीय दिन हम सभी को हरे वस्त्र धारण करने चाहिये।
तृतीय दिवस नवदुर्गा : माँ चन्द्रघन्टा
हरी ॐ
जय माता दी
ReplyDeleteअति सुन्दर वर्णन
प्रशॅसनीय सराहनीय कदम
मा भक्त
विभूति
अति सुन्दर वर्णन
ReplyDeleteॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।
ReplyDeleteजय माता दी।
जय माता दी
ReplyDeleteWaaaah
ReplyDeleteJai mata di
ReplyDelete🙏🌹🙏
ReplyDelete👏जय माता दी 👏
ReplyDelete